Monday, February 23, 2015

पढा-लिखा होना और जागृत होना दोनो में अंतर है

पढा-लिखा होना और जागृत होना दोनो में अंतर है । किताबों को पढ लेने से,या डिग्रियां हासील कर लेने से कोई जागृत नहीं कहा जा सकता । हर शिक्षित व्यक्ति जागृत ही हो,ऐसा नहीं है । जागृति का प्रथम सिद्धांत है÷ अपने दोस्त की पेहचान होना । जागृति का दुसरा सिद्धांत है÷ अपने दुश्मन की पेहचान होना । जागृती का तिसरा सिद्धांत है÷ अपनी ताकत और कमजोरी मालुम होना । जागृति का चौथा सिद्धांत है÷ दुश्मन की ताकत और कमजोरी मालुम होना । और जागृति का पांचवां सिद्धांत है÷ अपने महापुरुषों का इतिहास मालुम होना । यह पांच बातें अगर आपको मालुम है,और आप अनपढ भी हो,फिर भी आप जागृत कहे जा सकते हो । और अगर आप को ये पांच बातें नहीं मालूम हैं,और आप शिक्षित भी हो,फिर भी आप जागृत नहीं हो । आप डॉक्टर, वकील इंजिनियर,प्रोफेसर,IPS,IAS,हो सकते हो । मगर आप जागृत नहीं कहे जा सकते।

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