Saturday, October 18, 2014

यही व्यवस्था है यही न्याय है यही एक 'सत्य है ! हाथ में इन्साफ का तराज़ू और आँखों पर 'गांधारी' वाली पट्टी ! वाह क्या बात है

आखिर ''वही'' हुआ जो होना ''तय'' था ! ''जयललिता'' जेल से ''रिहा'' हो गई ? 
क्यों की एक '' बड़ी अदालत '' को अपने से ''छोटी अदालत'' पर ''विश्वास'' नहीं है


जिस ''जज'' ने ''चार साल'' की कैद और 100 करोड़ का ''जुर्माना'' लगाया है क्या
उसमे 'काबलियत' नहीं थी हैसियत नहीं थी या उस ने ''पक्षपात'' किया था ! 
"यदि निचली अदालतों के फैसलों पर ''भरोसा'' नहीं है तो इन्हे ''बंद'' क्यों नहीं कर देते"
ये निचली अदालते सरकारी ''डिस्पेंसरियों'' की तरहा केस खराब करने के लिए है
जब यहां का डॉक्टर ''जवाब'' दे दे तो रोगी को 'बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाओ
फिर और बड़े उसके बाद और बड़े हॉस्पिटल ले जाओ ! गाँठ में पैसा होना चाहिए !
यही हाल हमारी अदालतों का है !
बड़े बड़े वकील/बैरिस्टर जिनकी पहुँच न्यायधीशों के ड्राइंगरूम/चेंबर तक होती है
सफलता उनके ''कदम चूमती'' है
! बड़े से बड़ा 'अपराधी, भ्र्ष्टाचारी और दुराचारी
सलाखों के बाहर नज़र आता है !
यही व्यवस्था है यही न्याय है यही एक 'सत्य है ! .....
 हाथ में इन्साफ का तराज़ू और आँखों पर 'गांधारी' वाली पट्टी ! वाह क्या बात है ..